इसका क्या मतलब है ??? / What does this mean ????
ॐ
इसका क्या मतलब???
कल मैंने एक बहुत ही अच्छा वाक्य पढ़ा कि,
" जिसको तुम यहाँ खुश देखना चाहते हो उसे रखो क्योंकि दुनिया ने ताजमहल देखा है, मुमताज़ने नहीं। "
कितना अच्छा !!! जीवन में हमारे सभी महत्वपूर्ण रिश्ते हैं, माता-पिता, भाई बहन, हमारे अपने बच्चे और हमारे अपने जीवनसाथी। हम अपना पूरा जीवन, जीवन में हर किसी को खुश रखने की कोशिश में लगा देते हैं। मैं नहीं जानता कि उनमें से कितने वास्तव में खुश होते हैं, लेकिन जो पूरे परिवार को खुश रखने के चकरमें सबसे ज्यादा जो आहत होता है, वह हमारा जीवनसाथी है। आपने समय-समय पर इसका अनुभव किया होगा। तब हम सोचते हैं कि वह हमारे घर का आदमी है, हमारा अपना है और उसे सब कुछ कहा जा सकता है। अगर वह नहीं हमें नहीं समजेगा तो और कौन समजेगा ! सही बात है !! इसे कुछ भी कहा जा सकता है। सही बात है !! क्यों हमने उससे शादी की, तो क्या वह हमारी संपत्ति है? पति या पत्नी होना किसी की संपत्ति नहीं है। दोनोंका अपना एक अलग अलग अस्तित्व है। वे एक-दूसरे के साथी हैं, दास नहीं। कभी-कभी संयुक्त परिवारों में कुछ गलतफहमियां होती हैं और कभी-कभी वे समझ की कमी के कारण बड़े झगड़े में बदल जाते हैं। जब यह बहुत बढ़ जाता है, तब तो या तो पति-पत्नी को ऐसी समझदारी दिखानी चाहिए । यदि आप थोड़ा सा धैर्य दिखाते हैं, तो उस समय एक छोटी चीज बड़ी चीज नहीं हो सकती थी। यह घर के बड़ों की ज़िम्मेदारी है, खासकर सास की, अगर यह किरदार अपनी भूमिका निष्ठा से निभाए, तो घर में या रिश्तोमें कभी खटास नहीं आएगी।
हमेशा याद रखें कि परिवारों में प्यार को ज्यादा महत्व दें, पैसे को नहीं। पति नाम के जानवर को माँ और पत्नी दोनों को स्पष्ट रूप से समझाना चाहिए और पत्नी नाम का जानवर अपनी सास या ननद या देवर या भाभी के साथ तटस्थ रहना चाहिए। तटस्थ रहना यानि दूर दूर नहीं पर हर रिश्ते में ईमानदार होना है।
ये सभी रिश्ते, लड़की निभाती है अपने पतिसे शादी के कारण परिवार में सभी रिश्तों को उस लड़की द्वारा बनाए रखा जाता है। यदि पति और पत्नी के बीच बहुत अधिक समझ और प्रेम है, तो उसके पास शिकायतें कम हैं, लेकिन अगर थोड़ी सी असहमति है, तो इसे बड़ा रूप लेने में देर नहीं लगती है। अक्सर, भले ही आप संयुक्त परिवार में नहीं रहते हैं, हमेशा झगड़े होते हैं। अक्सर बात करने के लिए कुछ नहीं होता है।
हमेशा याद रखें कि दुनिया में हर किसी के दो पहलू होते हैं। हमेशा देना और लेना । यही नियम है। पति-पत्नी के रिश्ते में भी एक दुसरीका सम्मान करना चाहिए, एक दुसरीके स्वाभिमान का ख्याल रखना चाहिए । यही रिश्तेमे क्यों सब रिश्तेमे रखना चाहिए. ये समीकरण सभी रिश्तों पर लागू होता है।
पिता, जीवनसाथी, पुत्र, भाई या दोस्त जो भी रिश्ता हो, सभी को यहां खुश रखें, माफी मांगें अगर हमारी गलती है तो वरना माफ करें यदि उनकी गलती है तो, और जीवन में आगे बढ़ें। उसके दुनियांसे जाने के बाद पीछे ताजमहल बनाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह बीत चुका है। सही दोस्त ???
अपने विचार हमसे अवश्य साझा करें।
फिर मिलते है दोस्तों तब तक शामडीवाइन का प्रणाम स्वीकार करें.
Think positive stay positive 🙏🙏🙏
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